Shri Batuk Bhairav

Om Hrim Bham Bhairavaya Namah

BHAIRAV CHALISA AND ARTI

January 4th, 2013

दोहा

विस्वनाथ को सुमरी मन, धर गणेश का ध्यान
भैरव चालीसा पढू , कृपा करिए भगवान
बटुकनाथ भैरव भाजू, श्री काली के लाल
मुझ दास पर कृपा कर , कशी के कुतवाल

चौपाइया

जय जय श्री काली के लाला रहो दास पर सदा दयाला
भैरव भीषण भीम कपाली क्रोधवंत लोचन में लाली

कर त्रिशूल है कठिन कराला गल में प्रभु मुंडन की माला
कृष्ण रूप तन वर्ण विशाला पीकर मद रहता मतवाला

रूद्र बटुक भक्तन के संगी प्रेमनाथ भूतेश भुजंगी
त्रैल तेश है नाम तुम्हारा चक्रदंड अमरेश पियारा

शेखर चन्द्र कपल विराजे स्वान सवारी पर प्रभू गाजे
शिव नकुलश चंड हो स्वामी बैजनाथ प्रभु नमो नमामी

अश्वनाथ क्रोधेश बखाने भैरव काल जगत ने जाने
गायत्री कहे निमिष दिगंबर जगन्नाथ उन्नत आडम्बर

छेत्रपाल दश्पाणि कहाए मंजुल उमानंद कहलाये
चक्रनाथ भक्तन हितकारी कहे त्रयम्बकं सब नर नारी

संहारक सुन्दर सब नामा करहु भक्त के पूरण कमा
नाथ पिशाचन के हो प्यारे संकट मटहू सकल हमारे

कात्यायु सुन्दर आनंदा भक्तन जन के काटहु फन्दा
कारन लम्ब आप भय भंजन नमो नाथ जय जनमान रंजन

हो तुम मेष त्रिलोचन नाथा भक्त चरण में नावत माथा
तुम असितांग रूद्र के लाला महाकाल कालो के कला

ताप मोचन अरिदल नासा भाल चन्द्रमा करहि प्रकाशा
श्वेत काल अरु लाल शरीरा मस्तक मुकुट शीश पर चीरा

काली के लाला बलधारी कहं लगी शोभा कहहु तुम्हारी
शंकर के अवतार कृपाला रहो चकाचक पी मद प्याला

कशी के कुतवाल कहाओ बटुकनाथ चेटक दिखलाओ
रवि के दिन जन भोग लगावे धुप दीप नवेद चढ़ावे

दर्शन कर के भक्त सिहावे तब दारू की धर पियावे
मठ में सुन्दर लटकत झाबा सिद्ध कार्य करो भैरव बाबा

नाथ आप का यश नहीं थोडा कर में शुभग शुशोभित कोड़ा
कटी घुंघरा सुरीले बाजत कंचन के सिंघासन राजत

नर नारी सब तुमको ध्यावत मन वांछित इक्छा फल पावत
भोपा है आप के पुजारी करे आरती सेवा भारी

भैरव भात आप का गाऊं बार बार पद शीश नवाऊ
आपही वारे छीजन धाये ऐलादी ने रुदन मचाये

बहीन त्यागी भाई कह जावे तो दिन को मोहि भात पिन्हावे
रोये बटुकनाथ करुणाकर गिरे हिवारे में तुम जाकर

दुखित भई ऐलादी वाला तब हर का सिंघासन हाला
समय ब्याह का जिस दिन आया परभू ने तुमको तुरंत पठाया

विष्णु कही मत विलम्ब लगाओ तीन दिवस को भैरव जाओ
दल पठान संग लेकर धाया ऐलादी को भात पिन्हाया
पूरण आस बहिन की किन्ही सुख चुंदरी सीर धरी दीन्ही
भात भात लौटे गुणगामी नमो नमामि अंतर्यामी
मैं हुन प्रभु बस तुम्हारा चेरा करू आप की शरण बसेरा

दोहा

जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार
कृपा दास पर कीजिये शंकर के अवतार
जो यह चालीसा पढे प्रेम सहित शतबार
उस घर सर्वानन्द हो वैभव बढे अपार

भैरवजी की आरती

जय श्री भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा |
जय कलि और गौरा देवी कृत सेवा || जय

तुमही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक |
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक || जय

वाहन स्वान विराजत कर त्रिशूल धरी |
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी || जय

तुम बिन देवन सेवा सफल नहीं होवे |
चौमुख दीपक दर्शन सब दुःख खोवे || जय

तेल चटकि दधि मिश्रित माषावलि तेरी |
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी || जय

पॉव घुंघरू बजट अरु डमरू डमकावत |
बटुकनाथ बन बलाकजन मन हरषावत || जय

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामीमन वांछित फल पावे || जय

इति भैरव- आरती समापतम

click here to listen Bharav Baba Arti

Diffusé par Adcash

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Shri Batuk Bhairav

Om Hrim Bham Bhairavaya Namah

copyright © batukbhairav.com 2013
•  All rights reserved.
Website development & Promotion by